पति को संभोग सुख देने पर वह तुम्हें दुनिया के सारे सुख देगा, यह बात मैंने अपनी सहेलियों,
मां और चाची से हमेशा सुनी थी। लेकिन असल में कमी कुछ और थी।
मेरा विवाह 35 साल की उम्र में हुआ, यह काफी लेट समय था और जिससे मेरी शादी हुई उसकी उम्र 37 साल थी। पहले लोग शादी जल्दी करने पर जोर देते थे, लेकिन आज लोग पहले करियर बनाने के पीछे भागते हैं। कम उम्र में हुई शादी से आप अपने पार्टनर और परिवार से घुलने मिलने में ज्यादा आसान होते हैं, लेकिन देर से हुई शादी में लोग इतने जटिल हो जाते हैं कि वे अपने आप को नए माहौल में ढाल नहीं पाते।
35 की उम्र में शादी होने से वैसे भी शरीर में कामवासना खत्म हो जाती है, रही सही कसर 37 साल के पुरुष के अंदर भी नहीं बचती। बचती है तो एक बात वो है साथ। जब मेरी शादी हुई तो मुझे पता था कि जिस व्यक्ति से मेरी शादी हो रही है, वह काफी कम कमाता है। पर 35 साल की उम्र होने पर मेरी मां को भी काफी चिंता होने लगी थी, क्योंकि मेरे पापा की मृत्यु समय से पहले हो गई थी।
लोगों ने बोला शादी करो नहीं तो उम्र निकल जाएगी। सहेलियों ने कहा, रात को बिस्तर पर पति को खुश रखो, वह खुद मेहनत करके ज्यादा पैसे कमाएगा। सबकी बातों को ध्यान में रख कर मैंने शादी कर ली। लेकिन शादी के बाद पत्नी के साथ-साथ एक पुरुष की जिंदगी में एक और चीज आती है जिसे हम जिम्मेदारी के नाम से जानते हैं।
मेरे पति जानते थे कि मैं शादी से खुश नहीं हूं क्योंकि उनकी आय कम है। शादी की पहली रात उन्होंने मुझसे कहा, “देखो, मेरी आय कम है, उम्र ज्यादा है, इसका मतलब यह नहीं है कि हम दोनों साथ में खुश नहीं रह सकते। मैं तुम्हें सभी संसाधन तो नहीं दे सकता, लेकिन इतने जरूर दे सकता हूं कि हमारी जिंदगी अच्छे से चले।” और उस रात खाली यही बात हुई।
20-22 दिन बीत गए, पर हमारे बीच पति-पत्नी वाला रिश्ता बना ही नहीं। शायद उन्हें मन में मलाल था कि वे कम कमाते हैं जिसकी वजह से मैंने उन्हें मन से स्वीकार नहीं किया। फिर सहेलियों से बात हुई, सबने फिर वही बात कही, उन्हें रात में खुश करो और वे खुद तुम्हारी जरूरतें पूरी करेंगे।
महीने के अंत में उन्हें वेतन मिला 25000 रुपए, जिसमें से 5000 रुपए वे भविष्य के लिए रख कर 20000 मुझे दिए। बोले, “मेरी जरूरतें काफी सीमित हैं, ये पैसे तुम रखो। अगर मुझे जरूरत हुई तो तुमसे ले लूंगा। तुम अपने हिसाब से घर देख लो।” पर जब मैंने हिसाब लगाना शुरू किया तो पैसे कम पड़े।
जब मैंने उनसे इस बारे में बात की तो वे बोले, “थोड़ी दिक्कत हो सकती है लेकिन मैं दूसरी नौकरी के लिए ट्राई कर रहा हूं।” ऐसे ही करते-करते शादी को 6 महीने हो गए और हमारा झगड़ा हुआ। मैं कहती थी, “और पैसे कमाओ,” वे कहते थे, “जो हैं उसमें एडजस्ट करने की कोशिश करो।”
बात इतनी बढ़ गई कि मैं अपने मायके आ गईं और मन बना लिया कि अब इनके साथ नहीं जाना। उन्होंने कई बार मुझे बुलाया, मेरे घर आए लेने। थक हार कर मैंने भी बोल दिया, “जिस दिन आप अच्छा कमाने लगेंगे उस दिन आ जाना लेने, आप तो अभी पूरी तरह से मेरा खर्चा भी उठा नहीं पाते।” यह बात उन्हें बहुत बुरी लगी।
थक हार कर उन्होंने अपने वकील से फोन करवा कर कहा, “अगर तुम मुझसे अलग होना चाहती हो तो हो सकती हो।” यह सुनकर मेरा गुस्सा और भड़क गया। मुझे लगा कि जो इंसान मेरा खर्चा नहीं उठा सकता वह मुझे छोड़ने की धमकी दे रहा है। मैंने भी बोल दिया, “नहीं रहना है।”
हमारी हियरिंग हुई, जज ने पूछा, तो उन्होंने स्पष्ट बोला, “सर, मेरी तनख्वाह कम है जिससे इन्हें आपत्ति है और मैं इन्हें खुश नहीं रख पा रहा हूं। किसी इंसान को जबरदस्ती खुश नहीं किया जा सकता है। हर इंसान को अपनी खुशी चुनने की आजादी है।” जजों ने मुझे समझाया कि एक बार रिश्ते में खटास आ जाती है तो जिंदगी खराब हो जाती है, तुम चाहो तो एक नई शुरुआत कर सकती हो।
लेकिन इगो की वजह से मैंने किसी की नहीं सुनी और कुछ समय बाद हमारा तलाक हो गया। तलाक के बाद मैंने नौकरी शुरू की। अब मेरी उम्र 37 साल हो गई थी और नौकरी करने का निश्चय किया। नौकरी पर आने पर पता चला कि कितना मेहनत का काम है।
अब समझ में आने लगा था कि नौकरी करना कितना कठिन है। पहले घर बैठे 20000 मिलता था, अब 15000 मिल रहा है और दिनभर की मेहनत। एक पुरुष अपने परिवार की कमी को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करता है लेकिन हम औरतें सिर्फ यह सोचते हैं कि कैसे हमारा काम पूरा हो।
लेकिन आज उसी व्यक्ति की तनख्वाह 86000 रुपए है। मैंने यह गलती की कि रिश्ते को पैसे के पैरामीटर पर तोलने लगी थी, लेकिन यह सही नहीं था। यदि प्यार से समझती तो हमारा जीवन भी आगे अच्छा चलता।
आज के दौर में लड़कियां किसी लड़के से शादी करने से पहले यह जानना चाहती हैं कि लड़का कितना कमा रहा है। लेकिन असल में किसी से शादी करने से पहले यह जानना जरूरी है कि उसका चरित्र कैसा है।
शादी जैसे बंधन को चलाने के लिए जरूरी है आपसी सहमति, समझ और विश्वास। मुझे यह बात तब समझ आई जब मैंने अपना रिश्ता खो दिया। किसी अमीर से 4 बातें सुनने से बेहतर है कि किसी कम आय वाले के साथ खुश रहने में आनंद है।
यह एक सत्य घटना है। आप बताइए, आपके हिसाब से रिश्ते चलाने के लिए पैसे कितने जरूरी हैं?
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